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Electoral Bonds: एसबीआई(SBI) ने चुनाव आयोग को सौंपा डेटा(DATA)

12 मार्च, 2024 को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद Electoral Bonds से जुड़ी जानकारी चुनाव आयोग को सौंप दी है। इसमें 22,217 चुनावी बॉन्ड की खरीद और बिक्री का DATA शामिल है, जो अप्रैल 2019 से फरवरी 2024 तक का है। इस DATA में बॉन्ड(Bonds) खरीदने वालों के नाम, पते, खरीद की तारीख और राशि शामिल है।(Electoral Bonds: एसबीआई(SBI) ने चुनाव आयोग को सौंपा डेटा(DATA)


Electoral Bonds: एसबीआई(SBI) ने चुनाव आयोग को सौंपा डेटा(DATA)
Hindi News Republic

एसबीआई(SBI) ने चुनाव आयोग को सौंपा डेटा(DATA)

एसबीआई ने 12 मार्च 2024 को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर बताया कि उसने चुनाव आयोग को चुनावी बांड से जुड़ा डेटा सौंप दिया है। 

बैंक ने कहा कि उसने डेटा दो पीडीएफ फाइलों में जमा किया है जो पासवर्ड से सुरक्षित हैं। डेटा में 2019 से 2024 तक खरीदे गए सभी चुनावी बांड की जानकारी शामिल है, जिसमें खरीदार का नाम, बांड की राशि और किस राजनीतिक दल को दान दिया गया, यह भी शामिल है।

सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। अदालत ने एसबीआई को आदेश दिया था कि वह तुरंत बांड जारी करना बंद कर दे और दान का विवरण चुनाव आयोग को सौंपे, जो उन्हें सार्वजनिक कर देगा।

उदाहरण:

  • डेटा से पता चलता है कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले10,000 रुपये से अधिक मूल्यवर्ग के 5,000 से अधिक चुनावी बॉन्ड खरीदे गए थे यह दर्शाता है कि बड़े व्यवसाय समूहों और व्यक्तियों ने चुनावी बॉन्ड में भारी निवेश किया था
Electoral Bonds: एसबीआई(SBI) ने चुनाव आयोग को सौंपा डेटा(DATA)
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इस डेटा का विश्लेषण चुनाव आयोग द्वारा किया जाएगा और यदि आवश्यक हो तो आगे की कार्रवाई करेगा चुनाव आयोग यह पता लगाने की कोशिश करेगा कि क्या कोई नियम या कानून का उल्लंघन हुआ है

चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर कई आलोचनाएं भी रही हैं। आलोचकों का कहना है कि यह योजना पारदर्शी नहीं है और राजनीतिक दलों को गुमनाम चंदे प्राप्त करने की सुविधा देती है इस डेटा के सार्वजनिक होने से चुनावी बॉन्ड योजना की पारदर्शिता में वृद्धि होगी

चुनाव आयोग ने कहा है कि वह एसबीआई द्वारा सौंपे गए डेटा का विश्लेषण करेगा और यदि आवश्यक हो तो आगे की कार्रवाई करेगा यह डेटा चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की बेहतर समझ प्रदान करेगा और चुनावी वित्तपोषण में पारदर्शिता लाने में मदद करेगा

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SOURCES :- 1. AAJ TAK

                      2. NAV BHARAT TIMES


 

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