Can EVM be hacked or Tempered with? |
EVM आने से पहले चुनाव (Election):-
- मतपेटी में हेराफेरी (Ballot
Stuffing): मतपत्रों
की छपाई से लेकर मतदान केंद्रों तक पहुंचाने और मतगणना के दौरान कई जगहों पर हेराफेरी की संभावना बनी रहती थी। मतदान के बाद बूथ कैप्चरिंग की घटनाएं भी सामने आती थीं, जहां बाहरी लोग जबरन मतपेटियों में फर्जी मतपत्र डाल देते थे।
- गणना में त्रुटियां (Errors in
Counting): हाथ
से मतों की गिनती में मानवीय त्रुटियों की गुंजाइश रहती थी। गिनती की प्रक्रिया धीमी और जटिल होती थी, जिससे परिणाम आने में देरी होती थी।
- विवाद और अविश्वास (Disputes and Distrust): पारंपरिक मतपत्र प्रणाली में पारदर्शिता की कमी थी। हारे हुए उम्मीदवार मतगणना प्रक्रिया पर सवाल उठा सकते थे, जिससे चुनाव परिणामों पर विवाद खड़े हो जाते थे।
EVM क्या है?(WHAT IS EVM?):-
- मतदान इकाई (Ballot Unit): यह इकाई मतदाताओं के सामने होती है, जिसपर उम्मीदवारों के नाम और उनके चुनाव चिन्ह प्रदर्शित होते हैं। मतदाता जिस उम्मीदवार को चुनना चाहते हैं, उसके बटन को दबाते हैं।
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- Control Unit: यह इकाई मतदान केंद्र के प्रभारी अधिकारी के पास रहती है। मतदान शुरू होने से पहले नियंत्रण इकाई को मतदान इकाई से जोड़ा जाता है। नियंत्रण इकाई यह सुनिश्चित करती है कि मतदान प्रक्रिया बिना किसी बाहरी दखल के चले।
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- मतदाता सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) मशीन (VVPAT Machine): EVM को और अधिक विश्वसनीय बनाने के लिए 2013 में वीपीएटी को इसमें शामिल किया गया। मतदाता द्वारा उम्मीदवार को चुने जाने पर वीपीएटी मशीन से एक पर्ची निकलती है, जिस पर चुने गए उम्मीदवार का विवरण कुछ सेकंड के लिए प्रदर्शित होता है। इसके बाद पर्ची स्वचालित रूप से एक कंटेनर में गिर जाती है। इससे मतदाता को यह विश्वास हो जाता है कि उनकी पसंद EVM में दर्ज हो गई है।
VVPAT |
2009 में EVM की आलोचना और BJP सांसद का समर्थन
जी.वी.एल. नरसिंह राव book 2009 |
हमारा सवाल:-
Can EVM be Hacked or Tampered with?
1.EVM निर्माण और परीक्षण प्रक्रिया में स्वतंत्रता और पारदर्शिता को लेकर चिंताएं
निर्वाचन प्रक्रिया का आधार: EVM
भारत
दुनिया का सबसे बड़ा
लोकतंत्र है, जहां हर
कुछ वर्षों में विशाल जनसंख्या
की भागीदारी के साथ चुनाव
होते हैं. निष्पक्ष और
पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए,
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को 1980 के दशक में
अपनाया गया था. ईवीएम
मतदाताओं को उनके मताधिकार
का प्रयोग करने और मतों
की गिनती को स्वचालित करने
का एक सुविधाजनक तरीका
प्रदान करती हैं.
हालांकि, ईवीएम की शुरूआत के बाद से ही इनके निर्माण और परीक्षण प्रक्रियाओं में स्वतंत्रता और पारदर्शिता को लेकर सवाल उठाए जाते रहे हैं. आइए, इन चिंताओं पर गौर करें:
सरकारी
अधिकारियों और राजनीतिक दलों के बीच संभावित हितों का टकराव
- चिंता: ईवीएम निर्माण करने वाली कंपनियों के कुछ मालिकों या निदेशकों के सत्तारूढ़ राजनीतिक दल से संबंध हो सकते हैं. इससे यह आशंका पैदा होती है कि ये कंपनियां सत्ताधारी पार्टी को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए ईवीएम में हेराफेरी कर सकती हैं.
- प्रभाव: यदि ईवीएम निर्माण में हितों का टकराव होता है, तो यह चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता को कमजोर कर सकता है और जनता के विश्वास को खो सकता है.
- समाधान: ईवीएम निर्माण करने वाली कंपनियों के लिए सख्त दिशानिर्देश होने चाहिए, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाए कि कंपनी के मालिकों या निदेशकों का किसी भी राजनीतिक दल से कोई संबंध न हो. पारदर्शिता बढ़ाने के लिए, ईवीएम निर्माण प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र निकाय की स्थापना की जा सकती है.
2.परीक्षण
प्रक्रियाओं की स्वतंत्रता पर संदेह
- चिंता: ईवीएम के परीक्षण का काम सरकार द्वारा अधिकृत एजेंसियों द्वारा किया जाता है. कुछ का मानना है कि ये एजेंसियां पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं हैं और सरकार के दबाव में आ सकती हैं.
- प्रभाव: यदि ईवीएम परीक्षण प्रक्रिया में स्वतंत्रता का अभाव है, तो हैकिंग की आशंकाओं का पता नहीं चल पाएगा और सॉफ्टवेयर में खामियां रह सकती हैं. इससे चुनाव के नतीजों में हेराफेरी की आशंका बढ़ जाती है.
- समाधान: ईवीएम परीक्षण प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र निकाय की स्थापना की जानी चाहिए. इस निकाय में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होने चाहिए, जैसे कि क्रिप्टोग्राफी, कंप्यूटर विज्ञान और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग. साथ ही, ईवीएम के सोर्स कोड की जांच करने के लिए स्वतंत्र विशेषज्ञों को अनुमति दी जानी चाहिए.
3.सोर्स
कोड की पारदर्शिता का अभाव
- चिंता: ईवीएम का सोर्स कोड, जो मशीन के संचालन को नियंत्रित करता है, जनता के लिए उपलब्ध नहीं है. इससे यह आशंका पैदा होती है कि सोर्स कोड में कोई खामियां या जानबूझकर की गई गड़बड़ियां हो सकती हैं, जिनका पता लगाना मुश्कल है.
- प्रभाव: सोर्स कोड की गोपनीयता चुनाव प्रक्रिया में अविश्वास को जन्म देती है. मतदाता यह सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं कि ईवीएम वास्तव में उसी तरह काम कर रही हैं, जैसा दावा किया जाता है.
- समाधान: सरकार को ईवीएम के सोर्स कोड को सार्वजनिक करने पर विचार करना चाहिए. यदि सार्वजनिक करना संभव नहीं है, तो सरकार को स्वतंत्र विशेषज्ञों की एक टीम को सोर्स कोड की जांच करने की अनुमति देनी चाहिए.
4.पारदर्शिता और जवाबदेही: एक वैश्विक परिप्रेक्ष्य
जबकि
EVM चुनाव प्रक्रिया को तेज और
अधिक सुविधाजनक बनाते हैं, उनकी पारदर्शिता
और जवाबदेही महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। दुनिया भर
में कई देश EVM का
उपयोग करते हैं, लेकिन
उनमें से कुछ इसे
भारत से अलग तरीके
से लागू करते हैं।
उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया
जैसे देश EVM के सोर्स कोड
को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध
कराते हैं। यह कदम
स्वतंत्र विशेषज्ञों को मशीनों के
कामकाज की जांच करने
और उनकी अखंडता सुनिश्चित
करने की अनुमति देता
है।
5.भारत में EVM की खरीद और उपयोग की पारदर्शिता पर सवाल
भारत
में, EVM के सोर्स कोड
को गोपनीय रखा जाता है।
निर्वाचन आयोग का दावा
है कि यह राष्ट्रीय
सुरक्षा से जुड़ा है
और सार्वजनिक करने से छेड़छाड़
का खतरा बढ़ जाएगा।
हालांकि, कई लोगों का
तर्क है कि यह
गोपनीयता चुनाव प्रक्रिया में अविश्वास पैदा
करती है। वे सवाल
करते हैं कि कैसे
यह सुनिश्चित किया जा सकता
है कि मशीनें निष्पक्ष
और सटीक रूप से
काम कर रही हैं,
अगर उनकी कार्यप्रणाली की
स्वतंत्र रूप से जांच
नहीं की जा सकती
है।
6.भौतिक छेड़छाड़ की संभावना
चुनाव प्रक्रिया के दौरान भौतिक छेड़छाड़ की संभावना को भी खारिज नहीं किया जा सकता है। यद्यपि EVM को सील कर दिया जाता है
समाधान:-
1.100% VVPAT और कागजी ट्रेल गिनती अत्यंत आवश्यक है
चुनावों
में पारदर्शिता को सुनिश्चित करने
के लिए 100% VVPAT और कागजी ट्रेल
गिनती का महत्व अत्यंत
आवश्यक है। एक समय
में, लोकतंत्र में लोग चुनावों
की पूर्णता पर विश्वास करते
थे, लेकिन आजकल डिजिटल तकनीक
के बढ़ते उपयोग के साथ, लोगों
में चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की
कमी के संदेह बढ़ते
जा रहे हैं। इस
लेख में, हम देखेंगे
कि क्यों 100% VVPAT और कागजी ट्रेल
गिनती आवश्यक है और किस
प्रकार इसे लागू किया
जा सकता है।
2. S. Y. Quraishi का
मत:
S. Y. Quraishi ने
यह मान्य है कि EVMs के
लिए बड़े पैमाने पर
हैकिंग संभव नहीं है,
लेकिन पारदर्शिता के लिए कागजी
ट्रेल गिनती आवश्यक है।
3. प्रगतिशील
विकसित देशों का उदाहरण:
कई प्रगतिशील विकसित देशों ने बैलेट पेपर
प्रणाली पर वापस लौटने
का फैसला किया है, और
भारतीय चुनाव आयोग को 100% VVPAT मैचिंग
को लागू करने का
विचार करना चाहिए।
इस लेख में हमने
देखा कि चुनावों में
पारदर्शिता को सुनिश्चित करने
के लिए 100% VVPAT और कागजी ट्रेल
गिनती का महत्व क्यों
है। यह तकनीकी उपाय
हमें चुनाव प्रक्रिया में पूरी तरह
से विश्वास और आत्मविश्वास दिलाने
में मदद कर सकते
हैं।
4.दीर्घकालिक
समाधान
दीर्घकालिक
समाधान के रूप में,
हम चुनाव से संबंधित कंपनियों
से पार्टी सदस्यों को हटाने का
प्रस्ताव कर सकते हैं।
5.ओपन सोर्स कोड
ओपन
सोर्स कोड का उपयोग
करके, लोग चुनाव प्रक्रिया
को समझ सकते हैं
और उसमें सुधार कर सकते हैं।
6.हैकाथॉन्स
हैकाथॉन्स
का आयोजन करके, हम सुरक्षा संबंधी
समस्याओं का समाधान कर
सकते हैं।
7.कठोर सुरक्षा उपाय
कठोर
सुरक्षा उपाय अधिक पारदर्शिता
सुनिश्चित कर सकते हैं।
8.संक्षिप्तकालिक
समाधान
संक्षिप्तकालिक समाधान के रूप में, हम VVPAT स्लिप का सही उपयोग करके पारदर्शिता को बढ़ा सकते हैं और सुनिश्चित कर सकते हैं कि वह EVM गणना के साथ सही रूप से मेल खाता है।
और अच्छे से समझने के लिए आप यह वीडियो भी देख सकते हैं।
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