लद्दाख
में छठी अनुसूची और
पूर्ण राज्य का दर्जा, और
दिल्ली में केंद्रीय सचिवालय
सेवा के कर्मचारियों द्वारा
पदोन्नति और रिक्त पदों
को भरने की मांग
को लेकर हो रहे
प्रदर्शनों को मुख्यधारा के
मीडिया में उचित कवरेज
नहीं मिल रहा है।
लद्दाख में सोनम वांगचुक सहित कई लोग 7 फरवरी से अनशन पर |
- सोनम वांगचुक सहित कई लोग 7 फरवरी से अनशन पर बैठे हैं।
- तापमान 9 डिग्री सेल्सियस तक गिरने के बावजूद, प्रदर्शनकारी डटे हुए हैं।
- 12 मार्च को, लद्दाख विश्वविद्यालय के 96 छात्रों ने अनशन में शामिल होने का फैसला किया, जो इस आंदोलन के लिए जनसमर्थन को दर्शाता है।
दिल्ली:
- 12 मार्च से, हजारों कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
- कर्मचारी केंद्रीय सचिवालय भवन की परिक्रमा कर रहे हैं।
चिंता:
- मीडिया द्वारा इन प्रदर्शनों को नजरअंदाज करना लोकतंत्र के लिए खतरा है।
- सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
- मीडिया को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और जनता की आवाज को उठाने का काम करना चाहिए।
उदाहरण:
- लद्दाख में प्रदर्शनकारियों ने सोशल मीडिया का उपयोग अपनी बात को फैलाने के लिए किया है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।
- दिल्ली में प्रदर्शनकारियों ने राजनीतिक दलों से समर्थन मांगा है, लेकिन उन्हें अभी तक कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है।
लद्दाख में सोनम वांगचुक सहित कई लोग 7 फरवरी से अनशन |
आह्वान:
- नागरिकों से आग्रह है कि वे इन प्रदर्शनों के बारे में जागरूकता फैलाएं और मीडिया को इन मुद्दों को उठाने के लिए प्रेरित करें।
- हमें लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से आवाज उठाने का अधिकार है।
यह
समय है कि हम एकजुट होकर मीडिया और सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए मजबूर करें।
साथ
ही, मैं लद्दाख और दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे सभी लोगों को उनके साहस और दृढ़ संकल्प के लिए बधाई देता हूं।
यह
भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रदर्शनकारियों की मांगें जायज हैं और उन्हें पूरा किया जाना चाहिए।
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