इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया(ECI) ने एसबीआई(SBI) द्वारा दिए गए इलेक्टोरल बॉन्ड्स के आंकड़ों को सार्वजनिक किया
सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए (Electoral Bonds)इलेक्टरल बॉन्ड्स को असंवैधानिक घोषित किया था और साथ में एसबीआई(SBI) को यह कहा था कि वह सारा डाटा 12 मार्च तक ECI को सौंप दे और ECI इसी इस डाटा को 15 मार्च तक पब्लिक में अवेलेबल करवा देगा। उसी के चलते आज 15 मार्च को इलेक्शन कमिशन आफ इंडिया ने एसबीआई से मिले डाटा को पब्लिश कर दिया है। जिसके तहत उसने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) द्वारा जारी किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड्स से संबंधित आंकड़ों को सार्वजनिक कर दिया है। यह कदम भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में वित्तीय पारदर्शिता लाने की दिशा में एक सार्थक प्रयास माना जा रहा है।
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला
कई मायनों में सराहनीय है।
इससे पहले, राजनीतिक दलों को प्राप्त
धन का स्रोत अस्पष्ट
रहता था, जिससे भ्रष्टाचार
और अस्पष्ट लेनदेन की आशंका बनी
रहती थी। इलेक्टोरल बॉन्ड्स
के आंकड़ों को सार्वजनिक करने
से अब यह स्पष्ट
हो जाएगा कि कौन से
दलों को कितना धन
प्राप्त हुआ है और
यह धन किन बैंकों
और अन्य संस्थानों से
आया है। इससे राजनीतिक
दलों की जवाबदेही सुनिश्चित
होगी और चुनाव प्रक्रिया
में धन के दुरुपयोग
पर रोक लगाने में
मदद मिलेगी।
इलेक्टोरल
बॉन्ड क्या होते हैं?
इलेक्टोरल
बॉन्ड भारत सरकार द्वारा
जारी किए गए खास
तरह के डिबेंचर होते
हैं, जिनका उपयोग किसी भी राजनीतिक
दल को दान देने
के लिए किया जा
सकता है। ये बॉन्ड
किसी भी指定 बैंक
शाखा से खरीदे जा
सकते हैं और इन्हें
दानदाता गुमनाम रहते हुए किसी
भी राजनीतिक दल को दे
सकते हैं। बॉन्ड जारी
करने की प्रक्रिया पूरी
तरह से सुरक्षित होती
है और इसमें दानदाता
की गोपनीयता बरकरार रखी जाती है।
वित्तीय
पारदर्शिता लाने की पहल
इलेक्टोरल
बॉन्ड की शुरुआत का
उद्देश्य राजनीतिक दलों को दान
देने की प्रक्रिया को
अधिक पारदर्शी बनाना था। पारंपरिक दान
प्रणाली में अक्सर यह
स्पष्ट नहीं होता था
कि दान किससे आ
रहा है और इसका
दुरुपयोग किया जा सकता
था। इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए दान
देने की प्रक्रिया को
सुव्यवस्थित किया गया है
और अब यह स्पष्ट
हो पाए
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